तुर्क शाएर नाज़िम-हिकमत के अफ़्कार
जीने के लिए मरना ये कैसी सआदत है मरने के लिए जीना ये कैसी हिमाक़त है अकेले जियो एक शमशाद-तन की तरह और मिल कर जियो एक बन की तरह हम ने उम्मीद के सहारे पर टूट कर यूँ ही ज़िंदगी की है जिस तरह तुम से आशिक़ी की है

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