एक तराना मुजाहिदीन-ए-फ़िलिस्तीन के लिए
हम जीतेंगे हक़्क़ा हम इक दिन जीतेंगे बिल-आख़िर इक दिन जीतेंगे क्या ख़ौफ़ ज़ी-यलग़ार-ए-आदा है सीना सिपर हर ग़ाज़ी का क्या ख़ौफ़ ज़ी-यूरिश-ए-जैश-ए-क़ज़ा सफ़-बस्ता हैं अरवाहुश्शुहदा डर काहे का हम जीतेंगे हक़्क़ा हम इक दिन जीतेंगे क़द जाअल-हक़्क़ो व ज़हक़ल-बातिल फ़र्मूदा-ए-रब्ब-ए-अकबर है जन्नत अपने पाँव तले और साया-ए-रहमत सर पर है फिर क्या डर है हम जीतेंगे हक़्क़ा हम इक दिन जीतेंगे बिल-आख़िर इक दिन जीतेंगे

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