दाग़िस्तानी ख़ातून और शाएर बेटा
उस ने जब बोलना न सीखा था उस की हर बात मैं समझती थी अब वो शाएर बना है नाम-ए-ख़ुदा लेकिन अफ़सोस कोई बात उस की मेरे पल्ले ज़रा नहीं पड़ती

Read Next