उन्हीं के फ़ैज़ से बाज़ार-ए-अक़्ल रौशन है
उन्हीं के फ़ैज़ से बाज़ार-ए-अक़्ल रौशन है जो गाह गाह जुनूँ इख़्तियार करते रहे

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