मिरी जान आज का ग़म न कर कि न जाने कातिब-ए-वक़्त ने
मिरी जान आज का ग़म न कर कि न जाने कातिब-ए-वक़्त ने किसी अपने कल में भी भूल कर कहीं लिख रखी हों मसर्रतें

Read Next