हम अहल-ए-क़फ़स तन्हा भी नहीं हर रोज़ नसीम-ए-सुब्ह-ए-वतन
हम अहल-ए-क़फ़स तन्हा भी नहीं हर रोज़ नसीम-ए-सुब्ह-ए-वतन यादों से मोअत्तर आती है अश्कों से मुनव्वर जाती है

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