फ़रेब-ए-आरज़ू की सहल-अँगारी नहीं जाती
फ़रेब-ए-आरज़ू की सहल-अँगारी नहीं जाती हम अपने दिल की धड़कन को तिरी आवाज़-ए-पा समझे

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