बे-दम हुए बीमार दवा क्यूँ नहीं देते
बे-दम हुए बीमार दवा क्यूँ नहीं देते तुम अच्छे मसीहा हो शिफ़ा क्यूँ नहीं देते दर्द-ए-शब-ए-हिज्राँ की जज़ा क्यूँ नहीं देते ख़ून-ए-दिल-ए-वहशी का सिला क्यूँ नहीं देते मिट जाएगी मख़्लूक़ तो इंसाफ़ करोगे मुंसिफ़ हो तो अब हश्र उठा क्यूँ नहीं देते हाँ नुक्ता-वरो लाओ लब ओ दिल की गवाही हाँ नग़्मागरो साज़-ए-सदा क्यूँ नहीं देते पैमान-ए-जुनूँ हाथों को शरमाएगा कब तक दिल वालो गरेबाँ का पता क्यूँ नहीं देते बर्बादी-ए-दिल जब्र नहीं 'फ़ैज़' किसी का वो दुश्मन-ए-जाँ है तो भुला क्यूँ नहीं देते

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