सारा शहर बिलकता है
सारा शहर बिलकता है फिर भी कैसा सकता है गलियों में बारूद की बू या फिर ख़ून महकता है सब के बाज़ू यख़-बस्ता सब का जिस्म दहकता है एक सफ़र वो है जिस में पाँव नहीं दिल थकता है

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