आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो
आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो जस्ता जस्ता पढ़ लिया करना मज़ामीन-ए-वफ़ा पर किताब-ए-इश्क़ का हर बाब मत देखा करो इस तमाशे में उलट जाती हैं अक्सर कश्तियाँ डूबने वालों को ज़ेर-ए-आब मत देखा करो मय-कदे में क्या तकल्लुफ़ मय-कशी में क्या हिजाब बज़्म-ए-साक़ी में अदब आदाब मत देखा करो हम से दरवेशों के घर आओ तो यारों की तरह हर जगह ख़स ख़ाना ओ बरफ़ाब मत देखा करो माँगे-ताँगे की क़बाएँ देर तक रहती नहीं यार लोगों के लक़ब-अलक़ाब मत देखा करो तिश्नगी में लब भिगो लेना भी काफ़ी है 'फ़राज़' जाम में सहबा है या ज़हराब मत देखा करो

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