जो ग़ज़ल आज तिरे हिज्र में लिक्खी है वो कल
जो ग़ज़ल आज तिरे हिज्र में लिक्खी है वो कल क्या ख़बर अहल-ए-मोहब्बत का तराना बन जाए

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