हम तिरे शौक़ में यूँ ख़ुद को गँवा बैठे हैं
हम तिरे शौक़ में यूँ ख़ुद को गँवा बैठे हैं जैसे बच्चे किसी त्यौहार में गुम हो जाएँ

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