अपने खेत में
अपने खेत में.... जनवरी का प्रथम सप्ताह खुशग़वार दुपहरी धूप में... इत्मीनान से बैठा हूँ..... अपने खेत में हल चला रहा हूँ इन दिनों बुआई चल रही है इर्द-गिर्द की घटनाएँ ही मेरे लिए बीज जुटाती हैं हाँ, बीज में घुन लगा हो तो अंकुर कैसे निकलेंगे ! जाहिर है बाजारू बीजों की निर्मम छटाई करूँगा खाद और उर्वरक और सिंचाई के साधनों में भी पहले से जियादा ही चौकसी बरतनी है मकबूल फ़िदा हुसैन की चौंकाऊ या बाजारू टेकनीक हमारी खेती को चौपट कर देगी ! जी, आप अपने रूमाल में गाँठ बाँध लो ! बिलकुल !! सामने, मकान मालिक की बीवी और उसकी छोरियाँ इशारे से इजा़ज़त माँग रही हैं हमारे इस छत पर आना चाहती हैं ना, बाबा ना ! अभी हम हल चला रहे हैं आज ढाई बजे तक हमें बुआई करनी है....

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