यह तुम थीं
कर गई चाक तिमिर का सीना जोत की फाँक यह तुम थीं सिकुड़ गई रग-रग झुलस गया अंग-अंग बनाकर ठूँठ छोड़ गया पतझार उलंग असगुन-सा खड़ा रहा कचनार अचानक उमगी डालों की सन्धि में छरहरी टहनी पोर-पोर में गसे थे टूसे यह तुम थीं झुका रहा डालें फैलाकर कगार पर खड़ा कोढ़ी गूलर ऊपर उठ आई भादों की तलैया जुड़ा गया बौने की छाल का रेशा-रेशा यह तुम थीं !

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