सँभलने दे मुझे ऐ ना-उम्मीदी क्या क़यामत है
सँभलने दे मुझे ऐ ना-उम्मीदी क्या क़यामत है कि दामान-ए-ख़याल-ए-यार छूटा जाए है मुझ से

Read Next