न बंधे तिश्नगी-ए-ज़ौक़ के मज़मूँ 'ग़ालिब'
न बंधे तिश्नगी-ए-ज़ौक़ के मज़मूँ 'ग़ालिब' गरचे दिल खोल के दरिया को भी साहिल बाँधा

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