मैं ने कहा कि बज़्म-ए-नाज़ चाहिए ग़ैर से तिही
मैं ने कहा कि बज़्म-ए-नाज़ चाहिए ग़ैर से तिही सुन के सितम-ज़रीफ़ ने मुझ को उठा दिया कि यूँ

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