क्यूँ न ठहरें हदफ़-ए-नावक-ए-बे-दाद कि हम
क्यूँ न ठहरें हदफ़-ए-नावक-ए-बे-दाद कि हम आप उठा लेते हैं गर तीर ख़ता होता है

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