खुरदरे पैर
खुब गए दूधिया निगाहों में फटी बिवाइयोंवाले खुरदरे पैर धँस गए कुसुम-कोमल मन में गुट्ठल घट्ठोंवाले कुलिश-कठोर पैर दे रहे थे गति रबड़-विहीन ठूँठ पैडलों को चला रहे थे एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन चक्र कर रहे थे मात त्रिविक्रम वामन के पुराने पैरों को नाप रहे थे धरती का अनहद फासला घण्टों के हिसाब से ढोये जा रहे थे ! देर तक टकराए उस दिन इन आँखों से वे पैर भूल नहीं पाऊंगा फटी बिवाइयाँ खुब गईं दूधिया निगाहों में धँस गईं कुसुम-कोमल मन में

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