किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो
किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो न हो जब दिल ही सीने में तो फिर मुँह में ज़बाँ क्यूँ हो

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