ख़ुदाया जज़्बा-ए-दिल की मगर तासीर उल्टी है
ख़ुदाया जज़्बा-ए-दिल की मगर तासीर उल्टी है कि जितना खींचता हूँ और खिंचता जाए है मुझ से

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