रश्क कहता है कि उस का ग़ैर से इख़्लास हैफ़
रश्क कहता है कि उस का ग़ैर से इख़्लास हैफ़ अक़्ल कहती है कि वो बे-मेहर किस का आश्ना ज़र्रा ज़र्रा साग़र-ए-मै-ख़ाना-ए-नै-रंग है गर्दिश-ए-मजनूँ ब-चश्मक-हा-ए-लैला आश्ना शौक़ है सामाँ-तराज़-ए-नाज़िश-ए-अरबाब-ए-अज्ज़ ज़र्रा सहरा-दस्त-गाह ओ क़तरा दरिया-आश्ना मैं और एक आफ़त का टुकड़ा वो दिल-ए-वहशी कि है आफ़ियत का दुश्मन और आवारगी का आश्ना शिकवा-संज-ए-रश्क-ए-हम-दीगर न रहना चाहिए मेरा ज़ानू मूनिस और आईना तेरा आश्ना कोहकन नक़्क़ाश-ए-यक-तिम्साल-ए-शीरीं था 'असद' संग से सर मार कर होवे न पैदा आश्ना ख़ुद-परस्ती से रहे बा-हम-दिगर ना-आश्ना बेकसी मेरी शरीक आईना तेरा आश्ना आतिश-ए-मू-ए-दिमाग़-ए-शौक़ है तेरा तपाक वर्ना हम किस के हैं ऐ दाग़-ए-तमन्ना आश्ना जौहर-ए-आईना जुज़ रम्ज़-ए-सर-ए-मिज़गाँ नहीं आश्ना की हम-दिगर समझे है ईमा आश्ना रब्त-ए-यक-शीराज़ा-ए-वहशत हैं अजज़ा-ए-बहार सब्ज़ा बेगाना सबा आवारा गुल ना-आश्ना बे-दिमाग़ी शिकवा-संज-ए-रश्क-ए-हम-दीगर नहीं यार तेरा जाम-ए-मय ख़म्याज़ा मेरा आश्ना

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