हर चंद हो मुशाहिदा-ए-हक़ की गुफ़्तुगू
हर चंद हो मुशाहिदा-ए-हक़ की गुफ़्तुगू बनती नहीं है बादा-ओ-साग़र कहे बग़ैर

Read Next