गिरनी थी हम पे बर्क़-ए-तजल्ली न तूर पर
गिरनी थी हम पे बर्क़-ए-तजल्ली न तूर पर देते हैं बादा ज़र्फ़-ए-क़दह-ख़्वार देख कर

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