दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या
दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या ज़ख़्म के भरते तलक नाख़ुन न बढ़ जावेंगे क्या

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