प्रतिबद्ध हूँ, संबद्ध हूँ, आबद्ध हूँ
प्रतिबद्ध हूँ संबद्ध हूँ आबद्ध हूँ प्रतिबद्ध हूँ, जी हाँ, प्रतिबद्ध हूँ – बहुजन समाज की अनुपल प्रगति के निमित्त – संकुचित ‘स्व’ की आपाधापी के निषेधार्थ... अविवेकी भीड़ की ‘भेड़या-धसान’ के खिलाफ़… अंध-बधिर ‘व्यक्तियों’ को सही राह बतलाने के लिए... अपने आप को भी ‘व्यामोह’ से बारंबार उबारने की खातिर... प्रतिबद्ध हूँ, जी हाँ, शतधा प्रतिबद्ध हूँ! संबद्ध हूँ, जी हाँ, संबद्ध हूँ – सचर-अचर सृष्टि से… शीत से, ताप से, धूप से, ओस से, हिमपात से… राग से, द्वेष से, क्रोध से, घृणा से, हर्ष से, शोक से, उमंग से, आक्रोश से... निश्चय-अनिश्चय से, संशय-भ्रम से, क्रम से, व्यतिक्रम से… निष्ठा-अनिष्ठा से, आस्था-अनास्था से, संकल्प-विकल्प से… जीवन से, मृत्यु से, नाश-निर्माण से, शाप-वरदान से... उत्थान से, पतन से, प्रकाश से, तिमिर से... दंभ से, मान से, अणु से, महान से… लघु-लघुतर-लघुतम से, महा-महाविशाल से… पल-अनुपल से, काल-महाकाल से… पृथ्वी-पाताल से, ग्रह-उपग्रह से, निहरिका-जल से... रिक्त से, शून्य से, व्याप्ति-अव्याप्ति-महाव्याप्ति से… अथ से, इति से, अस्ति से, नास्ति से… सबसे और किसी से नहीं और जाने किस-किस से... संबद्ध हूँं, जी हॉँ, शतदा संबद्ध हूँ। रूप-रस-गंध और स्पर्श से, शब्द से... नाद से, ध्वनि से, स्वर से, इंगित-आकृति से... सच से, झूठ से, दोनों की मिलावट से... विधि से, निषेध से, पुण्य से, पाप से... उज्जवल से, मलिन से, लाभ से, हानि से... गति से, अगति से, प्रगति से, दुर्गति से… यश से, कलंक से, नाम-दुर्नाम से… संबद्ध हूँं, जी हॉँ, शतदा संबद्ध हूँ! आबद्ध हूँ, जी हाँ आबद्ध हूँ – स्वजन-परिजन के प्यार की डोर में… प्रियजन के पलकों की कोर में… सपनीली रातों के भोर में… बहुरूपा कल्पना रानी के आलिंगन-पाश में… तीसरी-चौथी पीढ़ियों के दंतुरित शिशु-सुलभ हास में… लाख-लाख मुखड़ों के तरुण हुलास में… आबद्ध हूँ, जी हाँ शतधा आबद्ध हूँ!

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