दैर नहीं हरम नहीं दर नहीं आस्ताँ नहीं
दैर नहीं हरम नहीं दर नहीं आस्ताँ नहीं बैठे हैं रहगुज़र पे हम ग़ैर हमें उठाए क्यूँ

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