अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा
अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नहीं रहा जाता हूँ दाग़-ए-हसरत-ए-हस्ती लिए हुए हूँ शम-ए-कुश्ता दर-ख़ुर-ए-महफ़िल नहीं रहा मरने की ऐ दिल और ही तदबीर कर कि मैं शायान-ए-दस्त-ओ-बाज़ु-ए-क़ातिल नहीं रहा बर-रू-ए-शश-जहत दर-ए-आईना बाज़ है याँ इम्तियाज़-ए-नाक़िस-ओ-कामिल नहीं रहा वा कर दिए हैं शौक़ ने बंद-ए-नक़ाब-ए-हुस्न ग़ैर-अज़-निगाह अब कोई हाइल नहीं रहा गो मैं रहा रहीन-ए-सितम-हा-ए-रोज़गार लेकिन तिरे ख़याल से ग़ाफ़िल नहीं रहा दिल से हवा-ए-किश्त-ए-वफ़ा मिट गई कि वाँ हासिल सिवाए हसरत-ए-हासिल नहीं रहा बेदाद-ए-इश्क़ से नहीं डरता मगर 'असद' जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नहीं रहा हर-चंद मैं हूँ तूती-ए-शीरीं-सुख़न वले आईना आह मेरे मुक़ाबिल नहीं रहा जाँ-दाद-गाँ का हौसला फ़ुर्सत-गुदाज़ है याँ अर्सा-ए-तपीदन-ए-बिस्मिल नहीं रहा हूँ क़तरा-ज़न ब-वादी-ए-हसरत शबाना रोज़ जुज़ तार-ए-अश्क जादा-ए-मंज़िल नहीं रहा ऐ आह मेरी ख़ातिर-ए-वाबस्ता के सिवा दुनिया में कोई उक़्दा-ए-मुश्किल नहीं रहा अंदाज़-ए-नाला याद हैं सब मुझ को पर 'असद' जिस दिल पे नाज़ था मुझे वह दिल नहीं रहा

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