संग्रह के खिलाफ
हवा तेज़ बह रही है और संग्रह जो मैं मुर्त्तिब करना चाह रहा हूँ उड़ा रही है उसके पन्ने एक बूडा आदमी चल रहा है सड़क पर बदल दिया है उसका रंग बत्ती के मटमैले उजाले ने और कुत्ते उस पर भोंक रहे हैं छाया लैम्पोस्ट की साधिकार आ कर पड़ी है संग्रह के खुले पन्ने पर हवा और कुत्ते और बूढ़ा आदमी बत्ती और लैम्पोस्ट सब मानो मेरे संग्रह के खिलाफ हैं जी नहीं होता इस सब के बीच लिखते रहने का कुत्तों को भागों जाऊं बूढ़े आदमी को भीतर बुलाऊँ!

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