शून्य होकर
शून्य होकर बैठ जाता है जैसे उदास बच्चा उस दिन उतना अकेला और असहाय बैठा दिखा शाम का पहला तारा काफ़ी देर तक नहीं आये दूसरे तारे और जब आये तब भी ऐसा नहीं लगा पहले ने उन्हें महसूस किया है या दूसरों ने पहले को!

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