उरूज-ए-आदम-ए-ख़ाकी से अंजुम सहमे जाते हैं
उरूज-ए-आदम-ए-ख़ाकी से अंजुम सहमे जाते हैं कि ये टूटा हुआ तारा मह-ए-कामिल न बन जाए

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