नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर
नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर तू शाहीं है बसेरा कर पहाड़ों की चटानों में

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