जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही
जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही खुलते हैं ग़ुलामों पर असरार-ए-शहंशाही

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