ने मोहरा बाक़ी ने मोहरा-बाज़ी
ने मोहरा बाक़ी ने मोहरा-बाज़ी जीता है 'रूमी' हारा है 'राज़ी' रौशन है जाम-ए-जमशेद अब तक शाही नहीं है ब-शीशा-बाज़ी दिल है मुसलमाँ मेरा न तेरा तू भी नमाज़ी मैं भी नमाज़ी मैं जानता हूँ अंजाम उस का जिस मारके में मुल्ला हों ग़ाज़ी तुर्की भी शीरीं ताज़ी भी शीरीं हर्फ़-ए-मोहब्बत तुर्की न ताज़ी आज़र का पेशा ख़ारा-तराशी कार-ए-ख़लीलाँ ख़ारा-गुदाज़ी तू ज़िंदगी है पाएँदगी है बाक़ी है जो कुछ सब ख़ाक-बाज़ी

Read Next