बे तेरे क्या वहशत हम को तुझ बिन कैसा सब्र ओ सुकूँ
बे तेरे क्या वहशत हम को तुझ बिन कैसा सब्र ओ सुकूँ तू ही अपना शहर है जानी तू ही अपना सहरा है

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