घूम रहा है पीत का प्यासा
देख तो गोरी किसे पुकारे बस्ती बस्ती द्वारे द्वारे बर में झोली हाथ में कासा घूम रहा है पीत का प्यासा दिल में आग दबी है डरना आँखों में अश्कों का झरना लब पर दर्द का बारा-मासा घूम रहा है पीत का प्यासा काँटों से छलनी हैं पाँव धूप मिली चेहरे पर छाँव आस मिली आँखों में निरासा घूम रहा है पीत का प्यासा बात हमारी मान के गोरी सब दुनिया से चोरी चोरी घूँघट का पट खोल ज़रा सा घूम रहा है पीत का प्यासा सूरत है 'इंशा'-जी की सी बाल परेशाँ आँखें नीची नाम भी कुछ 'इंशा'-जी का सा घूम रहा है पीत का प्यासा सोच नहीं साजन को बुला ले आगे बढ़ सीने से लगा ले तुझ-बिन दे इसे कौन दिलासा घूम रहा है पीत का प्यासा

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