जंगल जंगल शौक़ से घूमो दश्त की सैर मुदाम करो
जंगल जंगल शौक़ से घूमो दश्त की सैर मुदाम करो 'इंशा'-जी हम पास भी लेकिन रात की रात क़याम करो अश्कों से अपने दिल को हिकायत दामन पर इरक़ाम करो इश्क़ में जब यही काम है यार वले के ख़ुदा का नाम करो कब से खड़े हैं बर में ख़िराज-ए-इश्क़ के लिए सर-ए-राहगुज़ार एक नज़र से सादा-रुख़ो हम सादा-दिलों को ग़ुलाम करो दिल की मताअ तो लूट रहे हो हुस्न की दी है ज़कात कभी रोज़-ए-हिसाब क़रीब है लोगो कुछ तो सवाब का काम करो 'मीर' से बैअत की है तो 'इंशा' मीर की बैअत भी है ज़रूर शाम को रो रो सुब्ह करो अब सुब्ह को रो रो शाम करो

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