हमारा 'मीर'-जी' से मुत्तफ़िक़ होना है ना-मुम्किन
हमारा 'मीर'-जी' से मुत्तफ़िक़ होना है ना-मुम्किन उठाना है जो पत्थर इश्क़ का तो हल्का भारी क्या

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