सलीक़ा
देवता है कोई हम में न फ़रिश्ता कोई छू के मत देखना हर रंग उतर जाता है मिलने-जुलने का सलीक़ा है ज़रूरी वर्ना आदमी चंद मुलाक़ातों में मर जाता है

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