वो तवाइफ़
कई मर्दों को पहचानती है
शायद इसी लिए
दुनिया को ज़ियादा जानती है
उस के कमरे में
हर मज़हब के भगवान की एक एक तस्वीर लटकी है
ये तस्वीरें
लीडरों की तक़रीरों की तरह नुमाइशी नहीं
उस का दरवाज़ा
रात गए तक
हिन्दू
मुस्लिम
सिख
ईसाई
हर मज़हब के आदमी के लिए खुला रहता है
ख़ुदा जाने
उस के कमरे की सी कुशादगी
मस्जिद और मंदिर के आँगनों में कब पैदा होगी