फ़ासला
ये फ़ासला जो तुम्हारे और मेरे दरमियाँ है हर इक ज़माने की दास्ताँ है न इब्तिदा है न इंतिहा है मसाफ़तों का अज़ाब साँसों का दाएरा है न तुम कहीं हो न मैं कहीं हूँ तलाश रंगीन वाहिमा है सफ़र में लम्हों का कारवाँ है ये फ़ासला! जो तुम्हारे और मेरे दरमियाँ है यही तलब है यही जज़ा है यही ख़ुदा है

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