चाय की प्याली में नीली टेबलेट घोली
चाय की प्याली में नीली टेबलेट घोली सहमे सहमे हाथों ने इक किताब फिर खोली दाएरे अंधेरों के रौशनी के पोरों ने कोट के बटन खोले टाई की गिरह खोली शीशे की सिलाई में काले भूत का चढ़ना बाम काठ का घोड़ा नीम काँच की गोली बर्फ़ में दबा मक्खन मौत रेल और रिक्शा ज़िंदगी ख़ुशी रिक्शा रेल मोटरें डोली इक किताब चाँद और पेड़ सब के काले कॉलर पर ज़ेहन टेप की गर्दिश मुँह में तोतों की बोली वो नहीं मिली हम को हुक बटन सरकती जीन ज़िप के दाँत खुलते ही आँख से गिरी चोली

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