तुमने इस तालाब में रोहू पकड़ने के लिए
तुमने इस तालाब में रोहू पकड़ने के लिए छोटी—छोटी मछलियाँ चारा बनाकर फेंक दीं हम ही खा लेते सुबह को भूख लगती है बहुत तुमने बासी रोटियाँ नाहक उठा कर फेंक दीं जाने कैसी उँगलियाँ हैं, जाने क्या अँदाज़ हैं तुमने पत्तों को छुआ था जड़ हिला कर फेंक दी इस अहाते के अँधेरे में धुआँ—सा भर गया तुमने जलती लकड़ियाँ शायद बुझा कर फेंक दीं

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