Poets
Poetry
Books
Log in
Poets
Poetry
Books
Poetry
/
रहना नहिं देस बिराना है
रहना नहिं देस बिराना है
Kabir
#
Hindi
रहना नहिं देस बिराना है। यह संसार कागद की पुडिया, बूँद पडे गलि जाना है। यह संसार काँटे की बाडी, उलझ पुलझ मरि जाना है॥ यह संसार झाड और झाँखर आग लगे बरि जाना है। कहत 'कबीर सुनो भाई साधो, सतुगरु नाम ठिकाना है॥
Share
Read later
Copy
Last edited by
Chhotaladka
June 28, 2016
Added by
Chhotaladka
June 19, 2016
Similar item:
www.kavitakosh.org
Views:
12,234,002
Feedback
Read Next
Loading suggestions...
Show more
Cancel
Log in