सहजता की महिमा
सहज सहज सब कोई कहै, सहज न चीन्हैं कोय। जिन सहजै विषया तजै, सहज कहावै सोय॥ जो कछु आवै सहज में सोई मीठा जान। कड़वा लगै नीमसा, जामें ऐचातान॥ सहज सहज सब कोई कहै, सहज न चीन्हैं कोय। पाँचों राखै पारतों, सहज कहावै साय॥ सबही भूमि बनारसी, सब निर गंगा होय। ज्ञानी आतम राम है, जो निर्मल घट होय॥ अति का भला न बोलना, अति की भली न चुप। अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप॥

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