चक्रान्त शिला - 22
ओ मूर्ति! वासनाओं के विलय अदम आकांक्षा के विश्राम। वस्तु-तत्त्व के बन्धन से छुटकारे के ओ शिलाभूत संकेत, ओ आत्म-साक्ष्य के मुकुर, प्रतीकों के निहितार्थ। सत्ता-करुणा, युगनद्ध! ओ मन्त्रों के शक्ति-स्रोत, साधना के फल के उत्सर्ग ओ उद्गतियों के आयाम! और निश्छाय, अरूप, अप्रतिम प्रतिमा, ओ निःश्रेयस स्वयंसिद्ध!

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