रहस्यवाद-3
असीम का नंगापन ही सीमा है रहस्यमयता वह आवरण है जिस से ढँक कर हम उसे असीम बना देते हैं। ज्ञान कहता है कि जो आवृत है, उस से मिलन नहीं हो सकता, यद्यपि मिलन अनुभूति का क्षेत्र है, अनुभूति कहती है कि जो नंगा है वह सुन्दर नहीं है, यद्यपि सौन्दर्य-बोध ज्ञान का क्षेत्र है। मैं इस पहेली को हल नहीं कर पाया हूँ, यद्यपि मैं रहस्यवादी हूँ, क्या इसीलिए मैं केवल एक अणु हूँ और जो मेरे आगे है वह एक असीम?

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