रहस्यवाद-1
मैं भी एक प्रवाह में हूँ- लेकिन मेरा रहस्यवाद ईश्वर की ओर उन्मुख नहीं है, मैं उस असीम शक्ति से सम्बन्ध जोडऩा चाहता हूँ- अभिभूत होना चाहता हूँ- जो मेरे भीतर है। शक्ति असीम है, मैं शक्ति का एक अणु हूँ, मैं भी असीम हूँ। एक असीम बूँद असीम समुद्र को अपने भीतर प्रतिबिम्बित करती है, एक असीम अणु इस असीम शक्ति को जो उसे प्रेरित करती है अपने भीतर समा लेना चाहता है, उस की रहस्यामयता का परदा खोल कर उस में मिल जाना चाहता है- यही मेरा रहस्यवाद है।

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