रहस्यवाद-2
लेकिन जान लेना तो अलग हो जाना है, बिना विभेद के ज्ञान कहाँ है? और मिलना है भूल जाना, जिज्ञासा की झिल्ली को फाड़ कर स्वीकृति के रस में डूब जाना, जान लेने की इच्छा को भी मिटा देना, मेरी माँग स्वयं अपना खंडन है क्योंकि वह माँग है, दान नहीं है।

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