बद्ध-1
हृत वह शक्ति किये थी जो लड़ मरने को सन्नद्ध! हृत इन लौह शृंखलाओं में घिर कर, पैरों की उद्धत गति आगे ही बढऩे को तत्पर; व्यर्थ हुआ यह आज निहत्थे हाथों ही से वार- खंडित जो कर सकता वह जगव्यापी अत्याचार, निष्फल इन प्राचीरों की जड़ता के आगे आँखों की वह दृप्त पुकार कि मृत भी सहसा जागे!

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